By: D.K Choudhary
- वनस्पति विज्ञान के जनक थि्रयोफ्रेस्टस थे।
- जीव विज्ञान का जनक अरस्तु थे ।
- मानव शरीर की संरचना का पता लगाने वाला पहला वैज्ञानिक एंडि्रयास विसैलियम था।
- वृक्क प्रत्यारोपण में भार्इ या अत्यधिक निकट सम्बन्धी का वृक्क ही लिया जाता है, क्योकि दोनों के वृक्को का अनुवांशिक संगठन एक जैसा होता है।
- मानव एक मिनट में 16 से 18 बार सांस लेता हैैं
- स्तनी प्राणियों में डायाफ्राम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य श्वास विधि में सहायता करना हैं
- जब कोर्इ व्यकित सांस लेता है तो आक्सीजन रूधिर में हीमोग्लोबिन से संयोग करती है।
- श्वसन गुणांक आर0क्यू0 का तात्पर्य उत्पादित कार्बन डाइ-आक्साइड तथा प्रयोग में आर्इ आक्सीजन का अनुपात है।
- डी0एन0ए0 कुण्डल रचना वाटसन एवे कि्र्क ने बतायी थी।
- आर0एन0ए0 में डी0एन0ए0 यूरेसिल तत्व के कारण भिन्नता होती है
- जैव प्रौधोगिकी विभाग विज्ञान एवं प्रौधोगिकी मन्त्रालय के अधीन है।
- कृत्रिम निषेचन के लिए सांड के वीर्य को द्रव नाइट्रोजन में संचित करते है।
- भ्रूण की जानकारी के लिए सोनोग्राफी विधि सर्वश्रेष्ठ है।
- एन0एम0आर0 चुम्बकीय अनुनाद पर आधारित हैं।
- जीवन की उत्पत्ति जल में हुर्इ।
- मेथेन, हाइड्रोजन, जल तथा अमोनिया ने अमीनो अम्ल का निर्माण किया था, यह स्टैन्ले मिलर ने सिध्द किया ।
- रचना व कार्य दोनों में समान समरूप अंग होते है।
- लिंगी गुणसूत्र केा छोडकर अन्य गुणसूत्र आटोसोम के नाम से जाने जाते है।
- फास्फोरस डालने से पौधो के विकास मे सहायता मिलती हैै।
- पर्ण हरित का पौधे में सूर्य के प्रकाश को अवषोशित करके शर्करा का भण्डार करने में प्रयोग किया जाता है।
- लाइगेज नाम एन्जाइम का उपयोग डी0एन0ए0 के टुकडों को जोडने के लिए किया जाता है।
- डी0एन0ए0 में शर्करा डीआक्सीराइबोज में होती है।
- ऊतक संवद्र्वन के दो पाइलट संयन्त्रों की सािपना नर्इ दिल्ली व पुणे में की गर्इ।
- वष्पोत्सर्जन में पत्तियों से पानी वाष्प के रूप में निकलता है।
- पेशी में संकुचन कारण मायोसिन व एकिटन है।
- काष्ठ का सामान्य नाम द्वितीयक जाइलम है
- हदय की धडकन को नियन्त्रित करने के लिए पेसमेकर इस्तेमाल किया जाता है।
- सिनैपिसस तन्त्रिका एवं दूसरी तन्त्रिका के बीच होता है।
- अदरक एक तना है जड नही, क्योकि इसमें पर्व व पर्वसन्धिया होती है।
- प्लाज्मा झिल्ली कोशिका के भीतर तथा बाहर, जल एवं कुछ विलयों के मार्ग का नियन्त्रण करती है।
- फलीदार पादप कृषि में महत्वपूर्ण है क्योकि नाइट्रोजन स्थिर करने वाले जीवाणु का उनमें साहचर्य होता है।
- प्रत्येक गुण सूत्र में कर्इ जीन्स होते है।
- फाइबि्रनोजन , रूधिर में विधमान व यकृत में बनता है।
- स्पर्श करने पर छुर्इमुर्इ पौधे की पत्तियाँ मुरझा जाती है क्योकि पर्णाधार का स्फीति दाब बदल जाता है
- पौधे नाइट्रोजन को नाइट्राइट के रूप में ग्रहण करते है।
- गर्भ में बच्चे का लिंग निर्धारण पिता के गुणसूत्रों के द्वारा किया जाता है।
- प्रकाश संष्लेशण प्रक्रिया का प्रथम चरण सूर्य के प्रकाश द्वारा पर्णहरिम का उत्तेजन हेाता है।
- जल के अणुओं के लिए कोशिका भितितयों का आकर्षण बल अधिशोषण कहलाता है।
- हमारी जीभ का वह भाग जो मीठा स्वाद बताता है वह अग्रभाग होता है।
- भूमि में मैग्नीशियम तथा लोहे की कमी पौधे में हरिमहीनता का कारण है।
- केले बीजरहित होते है क्योकि ये त्रिगुणित होते है।
- वाश्पोत्र्सजन पोटोमीटर से मापा जाता है।
- अन्त:पोषण के कारण जल में रखने पर बीज फूल जाते है।
- प्रकाश तथा अन्धकार दोनों में केवल हरिमहीन कोशिकाओं में श्वसन होता है।
- कार्क के बाहर विलग परत का बनना शरद ऋतु में शाखाओं से पत्तियाँ गिरने का कारण है।
- यदि किसी पुष्प में चमकदार रंग , सुगन्ध तथा मरकन्द होते है, तो कीट परागित होता है।
- वाहिनिकाएँ, वाहिकाएँ काष्ठ तन्तु तथा मृदूतक जाइलम में पाये जाते है।
- व्हेल केवल बच्चे देते हैै।
- गर्भाशय में विकसित हो रहे भ्रूण को प्लेसेण्टा द्वारा पोषण मिलता है।
- एक निशेचित अण्डे का दो खण्डों में विभाजन हो, तथा दोनों भाग अलग हो जाएँ तो समान जुडवा बच्चे पैदा होते है।
- वृक्क जब काम करना बन्द कर देता है, तो मनुष्य के रूधिर में से डायलिसिस द्वारा विषाक्त तत्वों को पृथक किया जाता है।
- वृक्कों में मूत्र के निर्माण में केशिका-गुच्छीय फिल्टरन , पुन: अवषोशण तथा नलिका स्त्रावण क्रिया का क्रम उचित है।
- हाइड्रोपोनिक्स बिना मिटटी की खेती से सम्बनिधत है।
- एपोमिकिसस का अर्थ बिना लिंगी जनन हुए भ्रूण का निर्माण है।
- अदरक राइजोम है।
- हम सेलुलोज को नही पचा सकते है लेकिन गाय पचा सकती है क्योकि गायों की आहारनली में ऐसे जीवाणु होते है। जो सेलुलोज को पचा सकते है।
- किसी जन्तु द्वारा भोजन ग्रहण करने की क्रिया को अन्तग्र्रहण कहते है।
- कीटपक्षी पौधे कीडों को खाते है क्योकि वे जिस मिटटी में उगते है, उसमें नाइट्रोजन की कमी होती है।
- अधिपादप (एपीफाइट) ऐसे पौधे है जो केवल आश्रय के लिए अन्य पौधेा पर निर्भर करते है।
- माइकोप्लाज्मा सबसे सूक्ष्म स्वतन्त्र रूप से रहने वाला जीव है।
- हरित लवक, माइटोकोणिड्रया , केन्द्रक पादप कोशिका में डी0एन0ए0 होता है।
- सीखना व याद रखना सेरीब्रम से सम्बनिध है।
- फीताकृमि अनाक्सी – ष्वसन करता है।
- यदि संसार के सभी जीवाणु तथा कवक नष्ट हो जाएँ , तो संसार लाषों तथा सभी प्रकार के सजीवों के उत्सर्जी पदार्थो से भर जाएगा।
- हरित लवक में ग्रेना और स्ट्रोमा पाए जाते है।
- प्रोकैरियोट वे जीव , जिनमें केन्द्रक सुविकसित नहीं होता है।
- वनस्पति विज्ञान की वह शाखा , जिसमें शैवालों का अध्ययन करते है फाइकोलाजी कहलाती है।
- यूथेनिक्स पालन पोषण द्वारा मानव जाति की उन्नति का अध्ययन है।
- मानव खोपडी में 22 हडिडया होती है।
- 3 – 4 वर्ष के बच्चे में चवर्णक नहीं होते ।
- अर्धसूत्री विभाजन तरूण पुष्प कलिकाओं में पाया जाता है
- भेड की चोकला नस्ल से राजस्थान में सर्वोत्तम ऊन मिलती है।
- गाय बैलों की वे नस्लें जिनकी गाय अच्छी मात्रा में दूध देती है। परन्तु बैल कम शक्तिशाली होते है। मिल्क ब्रीड कहलाती है।
- यदि पौधे को अंधेरे में उगाया जाय तो वह लम्बा हेा जाता है क्योकि उसमें आक्सीजन की मात्रा बढ जाती है।
- बी0एम0आर0 का अभिप्राय बेसिक मेटा बोलिक रेट है।
- बोटुलिज्म एक प्रकार का भोजन दूषण है जो क्लोस्ट्रीडियम जीवाणु द्वारा होता है।
- व्यापारिक कार्क फ्लोएम से प्राप्त होती है।
- नारियल अधिकांशतया समुद्र के किनारें के प्रदेशो में व्यापक रूप से पाया जाता है। क्योकि इसके फल जल पर तैरते है।
- नारियल का फल ड्रूप होता है।
- अद्र्वसूत्री विभाजन में दो विभाजन होते है, एक न्यूनकारी विभाजन तथा एक सूत्री विभाजन ।
- माता पिता के गुण सन्तान में गुणसूत्र द्वारा स्थानानतरित होते है।
- जीन डी0एन0ए0 के बने होते है।
- जब गुणसूत्रों के बिना विभाजन के कोशिका में विभाजन होता है तो उसे असूत्री विभाजन कहते है।ं
- बैक्टीरिया में माइटोकोणिड्रया एवं केन्द्रक नही होते ।
- समतापी प्राणियों में ताप का नियमन करने वाला मस्तिष्क केन्द्र हाइपोथैलेमस है।
- आज्ञा का पालन करना प्रतिवर्ती क्रिया का उदाहरण नही है।
- मनुष्य में मेरू तन्त्रिकाओं की संख्या 31 युग्म है।
- हमारी जीभ पर स्वाद कलिकाएें , जो खटटे का ज्ञान कराती है जीभ के पाश्र्व भाग पर पायी जाती है।
- मस्तिष्क के सबसे बाहर का स्तर डयूरामेटर होता है।
- मस्तिष्क का जो भाग बुध्दि का भाग कहलाता है, उसे वैज्ञानिक भाशा में सेरीब्रल हेमीसिफयर कहते है।
- औधोगिक प्रक्रमों में जीवधारियों अथ्वा उसने प्राप्त पदार्थो का उपयोग जैव प्रोधोगिकी की श्रेणी में आता है।
- हमारे देश में क्लोरेमफेनिकोल प्रतिजैविक का उत्पादन नही होता है , पेनिसिलिन , एमिपसिलिन एवं टेट्रासाइक्लीन का प्रयोग होता है।
- आनुवांशिकी के अनुसार आर0एच- पुरूष और आर0एच0 + स्त्री विवाह सम्भव है।
- उत्परिवर्तन का सिध्दांत डी व्रीज ने दिया था ।
- विकास सिध्दांत के अनुसार मनुश्य व कपि एक ही पूर्वज से विकसित हुआ।
- जीवन का रासायनिक सिध्दांत ओपेरिन का सिद्वान्त है।
- वनस्पतिशास्त्रीयों के अनुसार स्थल पर सर्वप्रथम आने वाले पौधे मांस तथा उनके सम्बन्धी पौधे के समान थे ।
- मनुष्य में अवषेशी अंग कर्णपल्लव पेशिया है।
- जीवाश्म जैव विकास की विभिन्न अवस्थाओं का रहस्योदघाटन करते है।