संपादकीय Page पंचायतों का कानून 23rd Oct 2017

BY: D.K Choudhary

 पंचायतों का कानून
पंचायतों के फैसले मुख्य रूप से युवाओं के प्रेम प्रसंगों या किसी पुरुष-महिला के अवैध संबंधों के बारे में होते हैं।

नालंदा में पंचायत के फरमान पर एक व्यक्ति को थूक चटवाने और चप्पलों से पीटे जाने की घटना पर यह सोचकर सिर्फ शर्मिंदा हुआ जा सकता है कि विकास और प्रगति की बड़ी-बड़ी बातों के बीच हम किस युग में जी रहे हैं। इस घटना के बाद इस बात पर चर्चा का कोई औचित्य नहीं बचा कि जिस व्यक्ति को पंचायत द्वारा इस तरह प्रताडि़त और अपमानित किया गया, उसने वास्तव में कोई अपराध किया या नहीं। संविधान के आलोक में रचित आइपीसी और सीआरपीसी में हर तरह के अपराध के लिए सजा मुकर्रर है। इससे इतर कोई व्यक्ति या संस्था किसी आरोपित को दंडित करने का अधिकार नहीं रखती। नालंदा की पंचायत की तरह यदि कोई किसी आरोपित को सजा सुनाता है तो वह खुद अपराधी माना जाएगा। आपराधिक घटनाओं के आरोपितों के भी अपने अधिकार हैं जिनका हनन नहीं किया जा सकता। पश्चिमी यूपी और हरियाणा की खाप पंचायतें अपने असंवैधानिक एवं डरावने फैसलों के लिए कुख्यात हैं यद्यपि इन पंचायतों के फैसले मुख्य रूप से युवाओं के प्रेम प्रसंगों या किसी पुरुष-महिला के अवैध संबंधों के बारे में होते हैं। दुर्भाग्य है कि बिहार में भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। इस प्रवृत्ति को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा एक नई सामाजिक समस्या जोर पकड़ लेगी। स्थानीय पंचायतों की भूमिका सकारात्मक होनी चाहिए। ग्राम पंचायतों द्वारा स्थानीय छोटे-मोटे विवादों का निपटारा किया जा सकता है लेकिन कोई भी पंचायत सजा नहीं सुना सकती। यदि पंचायत की मध्यस्थता के बावजूद कोई विवाद नहीं निपटता है तो पंचायत को अपना फैसला जबर्दस्ती थोपना नहीं चाहिए। पंचायतों को अपनी हद में रहते हुए असुंतष्ट पक्ष को कानून की शरण में जाने की सुविधा का सम्मान करना चाहिए। बिहार में पंचायतों द्वारा लाचार महिलाओं को डायन करार देकर सार्वजनिक दंड दिए जाने की परंपरा राज्य के माथे पर कलंक है। ऐसे मामलों में महिलाओं के अपमान और प्रताडऩा के किस्से दिल दहलाने वाले होते हैं। शराबबंदी, बाल विवाह निषेध और दहेजबंदी जैसे समाज सुधार अभियानों के लिए यशस्वी हो रहा बिहार पंचायतों के विचित्र फैसलों के कारण बदनाम भी होता है। प्रशासन को ऐसे मामलों को पूरी गंभीरता से लेना चाहिए। नालंदा प्रकरण में नजीर कार्रवाई करके ऐसे तत्वों को सख्त संदेश दिया जा सकता है।
………………………………..
गैरकानूनी पंचायतों को कोई हक नहीं बनता कि वे आपराधिक घटनाओं का ट्रायल करें और आरोपितों को तालिबानी तर्ज पर सजा सुनाए। जमान-जायजाद और नाली-खड़ंजा के विवादों में ग्राम पंचायतें सिर्फ मध्यस्थ की भूमिका जरूर निभा सकती हैं

About D.K Chaudhary

Polityadda the Vision does not only “train” candidates for the Civil Services, it makes them effective members of a Knowledge Community. Polityadda the Vision enrolls candidates possessing the necessary potential to compete at the Civil Services Examination. It organizes them in the form of a fraternity striving to achieve success in the Civil Services Exam. Content Publish By D.K. Chaudhary

Check Also

चुनाव में शरीफ Editorial page 23rd July 2018

By: D.K Chaudhary लाहौर के अल्लामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज …