संतों पर सवाल Editorial page 19th June 2018

By: D.K Chaudhary

बहुचर्चित आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज के अचानक खुदकुशी कर लेने की खबर ने सबको स्तब्ध कर दिया है। हालांकि इस पर कुछ सवाल भी उठाए जा रहे हैं। पुलिस फिलहाल सभी संभावनाएं खुली रखते हुए जांच कर रही है लेकिन किसी भी स्थिति में इसे एक संत की स्वाभाविक मौत नहीं कहा जाएगा। संत-महात्मा भारत में शुरू से आदर के पात्र माने जाते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से समाज में उनका रुतबा बढ़ने के अलावा वे कई इतर कारणों से भी चर्चा में आ रहे हैं। कभी किसी यौन दुराचार के साथ उनका नाम जुड़ता है तो कभी किसी और निंदनीय कार्य से। 

आसाराम और उनके बेटे को बलात्कार के आरोप में जेल जाना पड़ा और राम रहीम को बहुत बड़ी अराजकता के बाद इसी नियति से गुजरना पड़ा। कई और संतों की करतूतें भी पिछले चार-पांच वर्षों में उजागर हुई हैं। इस सबके बावजूद समाज में न बाबाओं का प्रभाव कम होता दिख रहा है, न ही इस तरह की नई-नई खबरें आने का सिलसिला टूट रहा है। ताजा मामला दिल्ली के दाती बाबा का है जिनके खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज हो गई है। इस उथल-पुथल के कारणों पर गौर करें तो खबरिया टीवी का चलन बढ़ने के साथ संतों-धर्माचार्यो का प्रभाव क्षेत्र असाधारण तेजी से बढ़ा है। राजनेताओं से इनके रिश्ते शुरू से ही रहते आए हैं, लेकिन अभी इन रिश्तों का एक बिजनस एंगल भी डिवेलप हो गया है। कई संत-महात्मा अपने-अपने ब्रैंड के साथ हजारों करोड़ का बिजनस कर रहे हैं। 

इस चौतरफा दबदबे ने उनके दुर्गुणों में वृद्धि की है और कई मामलों में उनकी पोल भी खुलने लगी है। स्कैंडल पहले भी सामने आते थे, लेकिन एक अलग सामाजिक प्रक्रिया के चलते उनके जेल जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। ऐसा निर्भया कांड के बाद महिलाओं में आई हिम्मत और जागरूकता के चलते संभव हुआ है। संत की छवि रखनेवालों का ऐसा आचरण न केवल समाज के लिए बल्कि आस्था के लिए भी शर्मिंदगी का सबब बनता है। संत समाज ने इस पर चिंता भी जताई है। अखाड़ा परिषद द्वारा संतों की आधिकारिक सूची जारी करने के सुझाव के पीछे यही बेचैनी जाहिर हो रही है। लोग अपनी आस्था को लेकर सजग रहें, इसी में सबकी भलाई है। 

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