By: D.K Chaudhary
शिक्षा का अधिकार कानून लागू। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह आठवीं कक्षा तक बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा प्रदान कराए।
राज्य की बुनियादी शिक्षा के लिए आम जनता पर पड़ने वाले बोझ और सरकार की लाचारी पर सवाल खड़ा हुआ है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो चुका है और हर सरकार की जिम्मेदारी है कि वह आठवीं कक्षा तक बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा प्रदान कराए। सरकार इससे आगे बढ़कर कुछ करती है और सबके लिए शिक्षा को सुलभ और सुगम बनाती है तो यह उसका सराहनीय कदम कहा जाएगा। हालांकि ऐसी बात नहीं है कि पश्चिम बंगाल में शिक्षा का कानून लागू नहीं हुआ है। राज्य में शिक्षा का कानून लागू हुआ है, लेकिन फंड के अभाव में बुनियादी शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए आम जनता पर बोझ बढ़ रहा है। चौथी कक्षा तक किसी बच्चे से शुल्क के तौर पर कुछ लेना संभव नहीं है, लेकिन पांचवीं कक्षा में प्रवेश करते ही छात्रों पर विकास और बिजली आदि विभिन्न मदों में शुल्क थोप दिया जाता है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में कक्षा के अनुसार छात्रों को शुल्क वहन करना पड़ता है। सरकारी स्कूलों में विभिन्न मदों में छात्रों से अधिक शुल्क वसूलने की शिकायत मिलने पर कई बार राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को कड़ा कदम उठाना पड़ा। उन्होंने पांचवीं कक्षा से प्रति छात्र 240 रुपये शुल्क निर्धारित कर दिया। इसके बावजूद छात्रों से अधिक शुल्क वसूलना बंद नहीं हुआ है। स्कूल प्रबंधन की ओर से तर्क दिया गया है कि विभिन्न मदों में खर्च बढ़ जाने के कारण छात्रों से पर्याप्त शुल्क वसूलने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। शिक्षा मंत्री पूरे जांच पड़ताल के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि स्कूलों पर बढ़ते खर्च को लेकर इसमें केंद्र की मदद लेनी जरूरी है। अभी जो व्यवस्था है उसमें शिक्षा खर्च 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकारें वहन करती है। लेकिन छात्र-छात्रओं की सुरक्षा के लिए स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा लगाने से लेकर अलग-अलग शौचालय और अन्य ढांचागत सुविधाएं विकसित करने पर खर्च बढ़ते जा रहा है। ऐसी स्थिति में शिक्षा मंत्री ने केंद्र को पत्र लिख कर शिक्षा क्षेत्र में राज्य को मिलनेवाले अनुदान में वृद्धि करने की मांग की है। संघीय ढांचा में केंद्र से मदद मांगनी कोई गलती नहीं है लेकिन राज्य सरकार को अपने स्तर पर भी पूरी तैयारी रखनी चाहिए ताकि शिक्षा व्यवस्था किसी भी हाल में प्रभावित न हो सके और आम जनता पर ज्यादा बोझ न पड़े।