लापरवाही पर अंकुश जरूरी (Editorial page) 28th Nov 2017

By: D.K Chaudhary

 
राज्य सरकार लाख प्रयास कर ले जब तक निचले स्तर पर अधिकारी संवेदनशील नहीं होंगे, स्थिति सुधरने वाली नहीं।

राज्य सरकार को चाहिए कि लापरवाह चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे ताकि लापरवाही पर अंकुश लग सके। 
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राज्य सरकार लाख प्रयास कर ले जब तक निचले स्तर पर अधिकारी संवेदनशील नहीं होंगे, स्थिति सुधरने वाली नहीं। खासकर स्वास्थ्य विभाग में। इस विभाग में अक्सर लापरवाही सामने आते रहती है। चाहे वह राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स हो या एमजीएम जमशेदपुर या फिर अन्य प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र। कुछ दिनों पूर्व एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर में ऐसा मामला सामने आया था जब लावारिस मरीजों को कमरे में बंद कर दिया गया था। चिकित्सक के आने पर ही यह कमरा खुलता था। जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लिया। इस घटना के सप्ताह भर के अंदर खूंटी जिले के मुरहू स्वास्थ्य केंद्र में ठीक इसी तरह का मामला सामने आया। यहां जब एसडीएम प्रणब कुमार पाल औचक निरीक्षण करने पहुंचे तो अस्पताल के बाहर ताला लगा था और अंदर मरीज दर्द से कराह रहे थे। उस वक्त न अस्पताल में चिकित्सक थे और न स्वास्थ्यकर्मी। एसडीएम ने जब अस्पताल का ताला खुलवाया तो अंदर वैसे मरीज भी थे, जिनकी स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी। मरीजों की कराह से चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी बेपरवाह थे। नाराज एसडीएम ने हाजिरी रजिस्टर आदि को जब्त कर लिया। इस घटना को लोग अभी भूले भी नहीं थे इसी रविवार को कुछ ऐसा ही मामला खूंटी में सामने आ गया जिसमें चिकित्सकों की लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ा। यहां तीन शव सुबह से ही पोस्टमार्टम हाउस में पड़े रहे लेकिन न चिकित्सक नजर आए और न कोई स्वास्थ्यकर्मी। इसे लेकर परिजनों व ग्रामीणों ने हंगामा किया। उन्हें किसी तरह समझा-बुझाकर शांत किया गया। आये दिन चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों की इस तरह की लापरवाही सामने आते रहती है। सरकार को चाहिए कि ऐसे लापरवाह चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे ताकि लापरवाही पर अंकुश लग सके। अफसरों को भी आगे आना होगा और लगातार स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण करना होगा ताकि लापरवाह चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों को चिह्नित किया जा सके। जो भी चिकित्सक या स्वास्थ्यकर्मी दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी होगी। सिर्फ स्पष्टीकरण पूछने से समस्या का निदान नहीं निकलने वाला। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की तैनाती को भी सुनिश्चित करना होगा। मॉनीटर्रिग तंत्र को भी और अधिक दुरुस्त करना होगा

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