बड़ी सोच का जादू | Motivational Speech   07th Dec 2017

By: D.K Chaudhary

बड़ी सोच बड़ी सफलता-प्रेरक हिंदी कहानी

नीरपुर नाम के एक गांव में पानी की बहुत कमी हो गई थी। वहां के सभी कुएं सूख चुके थे जिसकी वजह से पीने के लिए भी पानी की बहुत कमी थी।

गांव में पानी न होने के कारण वहां के लोग दूर के गांव से पीने के लिए पानी लाते थे लेकिन दूरी इतनी ज्यादा थी कि सुबह जाकर शाम को ही पानी लाया जा सकता था।

Big Thinking

गांव के मुखिया ने गांव के सभी लोगों को अपने पास बुलाया और सभी से इस समस्या के निवारण के बारे में पूछा। गांव का कोई भी व्यक्ति समस्या का किसी भी प्रकार से कोई समाधान न दे सका।

मुखिया ने निर्णय लिया कि सभी लोग इस गांव को छोड़कर किसी अन्य जगह पर चलते हैं जहाँ पानी मिल सके। लेकिन अब समस्या यह थी कि अपना घर, सामान और जमीन को छोड़कर कैसे किसी दूसरी जगह जाया जा सकता है।

किसी को भी इस समस्या का हल नहीं सूझ रहा था। सभी सोच रहे थे पता नहीं अब हम सब लोगों का क्या होगा?

तभी दूर से एक साधु आता हुआ उन्हें नजर आया। जैसे ही साधु उनके पास आया, सभी लोग उसके पास गए और कहा, “अब आप ही हमारी रक्षा करो और हमें इतनी बड़ी परेशानी से बचाओ।”

साधु ने कहा, “ठीक है, जब तक गांव में सूखा पड़ा हुआ है, तब तक मैं आपकी सहायता करूँगा। मैं अपनी शक्ति के द्वारा सभी को पानी दूंगा लेकिन मेरी कुछ शर्त हैं। यदि आप शर्तों को मानेगें तभी मैं आपको पानी दे पाउँगा।”

गांव के लोग साधु की प्रत्येक शर्त मानने को तैयार हो गए।

तब साधु बोला, “मैं प्रत्येक गांववासी के लिए केवल एक बर्तन में पानी दूंगा। पानी के लिए सभी लोग अपना अपना बर्तन रात में अँधेरा होते ही अपने घर के बाहर रख देना। मैं सभी में पानी भर दूंगा। बाद में सभी लोग सुबह होने से पहले अँधेरे में ही अपने बर्तन उठाकर घर में रख लेना और उसका पानी प्रयोग करना। और यह भी ध्यान रहे कि कोई भी एक दूसरे का न तो बर्तन देखेगा और न ही एक दूसरे का पानी प्रयोग करेगा।”

गांव के सभी लोग तुरंत तैयार हो गए। अब लोग रात होते ही अपना अपना बर्तन घर के बाहर रखते और सुबह होने से पहले पानी से भरा बर्तन अपने घर में रख लेते।

एक सप्ताह बाद गांव का मुखिया गांव के लोगों से मिला और पानी सही से मिल रहा है या नहीं, इसके बारे में पूछा।

तब कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें पीने तक का भरपूर पानी नहीं मिल रहा है। कुछ लोग बोले कि हम तो खूब पानी पी रहे हैं और घर के सभी जरुरी कामों में भी प्रयोग कर रहे हैं लेकिन इतना नहीं मिलता कि हम नहा सकें या कपड़े धो सकें।

कुछ देर बाद मुखिया को ऐसे लोग मिले जो बोले कि हमें इतना पानी मिल जाता है कि हम उससे नहा भी सकते हैं और कपड़े भी धो लेते हैं। तभी एक व्यक्ति आया और बोला, “मुझे तो इतना पानी मिल जाता है कि सभी कार्यों के बाद भी बच रहता है, तब मैं उसे अपने घर के बाहर लगे पौधों में भी डाल देता हूँ।

सभी गांव वालों की बातें सुनकर मुखिया ने सोचा कि साधु तो कह रहे थे कि सबको पूरा बर्तन भरकर पानी देंगे तो ऐसी क्या बात है कि किसी को कम तो किसी को ज्यादा पानी मिल रहा है।

इसका उत्तर जानने के लिए मुखिया तुंरत साधु के पास गए जिन्होंने गांव के किनारे अपनी कुटिया बना ली थी। मुखिया ने साधु को सभी बातें बतायीं और पानी कम या ज्यादा मिलने का कारण पूछा।

साधु धीरे से मुस्काये और बोले, “यदि आप इस रहस्य को जानना चाहते हैं तो कल गांव के सभी लोग शाम के समय मेरे पास अपने अपने पानी के बर्तन लेकर आएं। कल मैं पानी शाम को यही पर दूंगा।”

मुखिया तुरंत गांव गया और सभी को कल शाम अपने अपने बर्तन के साथ साधु की कुटिया पर पहुंचने को कहा।

अगला दिन आया, शाम हुई, सभी अपने अपने बर्तन लेकर साधु की कुटिया पर पहुंच गए। जब सभी लोग एक साथ इकट्ठे हुए तो सभी एक दूसरे की तरफ न देखकर एक दूसरे के बर्तनों को बड़े ही आश्चर्य से देख रहे थे।

मुखिया बोला, “अरे यह क्या! सभी के बर्तन तो एक जैसे नहीं हैं ! कोई बाल्टी लाया है तो कोई सुराही लाया है, कोई ड्रम लाया है तो कोई लकड़ी का बना बड़ा टैंक लाया है। अब समझ आया कि सभी को पानी कम या ज्यादा क्यों मिल रहा था।”

तभी पास खड़े साधु बोले, “मैंने आपसे कहा था कि मैं सभी को बर्तन भरकर पानी दूंगा। और मैंने ऐसा ही किया। लेकिन कमी आपमें से उन लोगों की रही जो छोटे आकार के बर्तन लाये और समझदारी उन लोगों की रही जो बड़े बड़े बर्तन लाये। मैं तो सभी को पूरा बर्तन भरकर पानी दे रहा हूँ।”

सभी गांव वाले अब अगले दिन से बड़ा बर्तन घर के बाहर रखने की बात सोचने लगे।

तब साधु बोला, “आखिर कब तक आप मुफ्त में मिलने वाले पानी को पीते रहेंगे। जिस प्रकार मैंने बर्तन के आकर के हिसाब से आपको पानी दिया, जिसका जितना बड़ा बर्तन उसको उतना ज्यादा पानी मिला। यही बात आपकी सोच पर भी लागू होती है। जिसकी जितनी बड़ी सोच (Big thinking) होगी, वह प्रकृति से उतना ही ज्यादा प्राप्त कर सकेगा। प्रकृति आपको उतना ही देती है जितनी बड़ी आपकी सोच होती है।

गांव में पानी की कमी है, ऐसे में आपकी सोच थी कि गांव ही छोड़ दिया जाये जिस प्रकार कोई व्यक्ति परेशानी का समाधान न मिलने पर जीवन छोड़ने के बारे में सोचने लगता है। अब जिस प्रकार आपको अधिक पानी पाने के लिए अपने बर्तन को बड़ा करने की जरुरत है, उसी प्रकार गांव में पानी लाने के लिए आपको अपनी सोच को बड़ा करना होगा।” (Think Big)

गांव के लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगे। साधु के द्वारा दी गई सीख को अब गांव का प्रत्येक व्यक्ति समझ चुका था। वह समझ चुके थे कि अब उन्हें क्या करना है।

गांव के लोग एक जगह एकत्रित होकर गांव में पानी लाने के नए नए विचार एक दूसरे को देने लगे। नयी संभावनाएं जन्म लेने लगीं। नए और बड़े विचार आने लगे। गांव के लोगों की सोच बढ़ने लगी।

अब उनकी सोच गांव से निकलकर वहां पहुंच गई जहाँ बहुत बड़ी नदी थी जो गांव से दूर थी। अब गांव के सभी लोग कुछ बड़ा करने की सोचने लगे। तीन दिनों में ही एक बहुत बड़ा निर्णय लिया गया।

गांव से नदी तक के लिए खुदाई शुरू हो गई। चार महीनों की कठिन मेहनत के बाद एक नहर नदी से गांव तक खोदी जा चुकी थी। पानी की लहरें अब गांव तक उछल कूद कर रही थीं। सभी लोग बहुत खुश थे।

लोग साधु को धन्यवाद देने उनकी कुटिया पर पहुंचे लेकिन साधु अब वहां नहीं मिले। गांव वाले समझ गए कि अब साधु वहां गए होंगे जहाँ के लोगों को उनकी अब बहुत जरुरत होगी।

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