राजधानी और इसके आसपास महिलाओं और बच्चों के खिलाफ भी अपराध बढ़े हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने तो इस मसले पर पिछले साल केंद्र और दिल्ली सरकार के अलावा दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने तो यहां तक कह दिया था कि लगता है यह अपराधों की राजधानी बन गई है। दरअसल, पुलिस की लापरवाही की वजह से अपराधियों के हौसले ज्यादा बुलंद होते हैं। अपराध की अधिक आशंका वाले इलाकों में पुलिस की जैसी तैनाती और चौकसी होनी चाहिए, वह नजर नहीं आती। इसी का अपराधी फायदा उठाते हैं। वरना कैसे दिनदहाड़े हमलावर एक कार को निशाना बना कर भाग निकले? नोएडा और गाजियाबाद में तो दिल्ली से भी बुरा हाल है। पुलिस की लापरवाही या निष्क्रियता की शिकायतें तो अपनी जगह हैं ही, समस्या पुलिस बल की पर्याप्त उपलब्धता का न होना भी है। उत्तर प्रदेश में पुलिस के हजारों पद खाली हैं। उत्तर प्रदेश ही क्यों, यह स्थिति लगभग सभी बड़े राज्यों की है। आबादी के हिसाब से सुरक्षा के लिए जितने संसाधन होने चाहिए, नहीं हैं। फिर पुलिस की कार्यप्रणाली इतनी लचर है कि अपराधी आराम से बच निकलते हैं। लिहाजा, पुलिस महकमे में खाली पदों को भरने और पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार, दोनों मोर्चों पर सक्रिय पहल की जरूरत है।
बेखौफ अपराधी (Editorial page) 14th March 2018 In Hindi
By: D.K Chaudhary
दिल्ली और आसपास के इलाकों में जिस तरह से अपराध बढ़ रहे हैं वह गंभीर चिंता का विषय है। हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के अलावा चोरी, जेबतराशी, लूटपाट, रास्ते चलते होने वाली मारपीट और छेड़छाड़ की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। जाहिर है, यह कानून-व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती है। किसी भी सरकार का पहला दायित्व जान-माल की रक्षा सुनिश्चित करना होता है। पर इस प्राथमिक कसौटी पर भी देश की अधिकतर सरकारें खरी नहीं उतर पा रही हैं। दो रोज पहले नोएडा में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के उप महाप्रबंधक की गोली मार कर हत्या कर दी गई। उनका शव वारदात के कई घंटे बाद एक नाले में मिला। माना जा रहा है कि हत्या लूट के इरादे से की गई। गाजियाबाद में बदमाशों ने एक महिला पुलिसकर्मी को लूट लिया। दिल्ली में कुछ मोटरसाइकिल सवारों ने एक कॉलेज प्राचार्य की कार पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। इन वारदातों से साफ है कि अपराधियों में कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।