By: D.K Chaudhary
जांच समिति गठित करके उसे 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने को भी कहा। मगर ये सब घटना के बाद की गतिविधियां हैं। शहरों के प्रबंधन में आम तौर पर जो गड़बड़ियां होती हैं, और बनारस जैसे शहर में भी जो अभी खूब हो रही हैं, उस तरफ सरकार का ध्यान जा पाया है या नहीं, कहना कठिन है। बनारस बहुत पुराना शहर है। किसी भी पारंपरिक शहर की तरह यहां संकरी गलियां और पतली सड़कें ही देखने को मिलती हैं। फ्लाईओवर और चौड़ी सड़कें इसकी पहचान का हिस्सा नहीं हैं। बढ़ती आबादी की नागरिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनारस के इन्फ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देना ही होगा, लेकिन यह काम शहर के मिजाज और बनावट को समझ कर ही किया जा सकता है। धार्मिक और सांस्कृतिक वजहों से बनारस हमेशा देश-दुनिया के आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन अभी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र हो जाने के कारण यहां 2019 को टारगेट बनाकर विकास की कुछ ज्यादा ही हड़बड़ी देखी जा रही है।
इस क्रम में गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों की कितनी अनदेखी हो रही है, शहर के आम लोगों को इसके चलते रोजाना कितनी कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है, इन सवालों पर ज्यादा ठहरकर सोचने की जरूरत है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन इस हादसे से कुछ सबक ले सके तो यह बनारस के लिए सुकून की बात होगी।