बदले हुए तेवर (Editorial page) 20th March 2018 

By: D.K Chaudhary

हाल के कुछ उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद एनडीए में खलबली बढ़ गई है। बीजेपी के कुछ सहयोगी दलों ने उसका साथ छोड़ दिया है, तो कुछ घुमा-फिराकर इसकी धमकी दे रहे हैं। अब तक चुप बैठे दलों का रुख भी आक्रामक हो रहा है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा एनडीए से पहले ही अलग हो चुकी है, अब टीडीपी ने भी उससे नाता तोड़ लिया है। यही नहीं उसने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी है। एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने कहा है कि बीजेपी सहयोगी दलों से बात करे और इस पर विचार करे कि एनडीए में बिखराव क्यों हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि बीजेपी नई जगहों पर तो चुनाव जीत रही है, लेकिन पहले से जीती हुई सीटों को क्यों नहीं बचा पा रही है? आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा ने भले ही कुछ कहा न हो, पर उनकी गतिविधियां काफी कुछ संकेत दे रही हैं। जनवरी में उन्होंने बिहार में मानव श्रृंखला का आयोजन किया था जिसमें आरजेडी के कई नेता शामिल हुए थे। 
उनकी आरजेडी से गुपचुप नजदीकी की चर्चा गर्म है। शिवसेना पहले ही तय कर चुकी है कि वह 2019 का चुनाव बीजेपी के साथ नहीं लड़ेगी। अब वह कह रही है कि अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 110 सीटों का नुकसान होगा। वाजपेयी सरकार के दौर में चूंकि बीजेपी के पास बहुमत नहीं था, इसलिए एनडीए बेहद प्रभावी भूमिका में रहा, लेकिन मोदी के समय स्थितियां बदल गईं। इस बार अकेले अपने दम पर सरकार बनाने वाली बीजेपी ने कभी सहयोगी दलों को गंभीरता से नहीं लिया। न उनसे नियमित संवाद रखा न ही महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी राय ली। इस तरह एनडीए की स्थिति प्रतीकात्मक ही रह गई थी। सहयोगी दल अब तक इसलिए मुखर नहीं हो पा रहे थे क्योंकि बीजेपी लगातार जीत रही थी। उन्हें अहसास था कि मोदी मैजिक के जरिए उनकी सत्ता भी सुनिश्चित रहेगी। फिर उन्हें डर भी था कि मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने से कहीं वे जनता के बीच अप्रासंगिक न हो जाएं। इसलिए वे हालात बदलने की प्रतीक्षा कर रहे थे। 

यूपी के दो अहम उपचुनावों में बीजेपी की शिकस्त से उन्हें आभास हो गया है कि जनता में बीजेपी की पकड़ ढीली हुई है। दूसरी तरफ वे यह भी देख रहे हैं कि बीजेपी विरोधी ताकतें एकजुट हो रही हैं। अब बीजेपी के सहयोगी दल बीजेपी और केंद्र सरकार से कड़ी सौदेबाजी चाहते हैं। अगर हालात बीजेपी के खिलाफ होते गए तो वे अपनी नई राह भी चुन सकते हैं। फिलहाल वे जनता का मूड भांपने की कोशिश करेंगे। बीजेपी को संभल जाना होगा। उसे अगर अपने कुनबे को बचाए रखना है तो सहयोगी दलों को जल्द से जल्द विश्वास में लेना होगा। 

About D.K Chaudhary

Polityadda the Vision does not only “train” candidates for the Civil Services, it makes them effective members of a Knowledge Community. Polityadda the Vision enrolls candidates possessing the necessary potential to compete at the Civil Services Examination. It organizes them in the form of a fraternity striving to achieve success in the Civil Services Exam. Content Publish By D.K. Chaudhary

Check Also

चुनाव में शरीफ Editorial page 23rd July 2018

By: D.K Chaudhary लाहौर के अल्लामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज …