बंगले का मोह Editorial page 08th May 2018

By: D.K Chaudhary

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित वह कानून निरस्त कर दिया है जिसके मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगले में रहने की सुविधा दी गई थी। कोर्ट का कहना है कि किसी को इस आधार पर सरकारी बंगला अलॉट नहीं किया जा सकता कि वह अतीत में किसी सार्वजनिक पद पर रह चुका है। गौर करने की बात है कि यह इस मसले पर यूपी सरकार को कोर्ट द्वारा दिया गया दूसरा झटका है। इससे पहले 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने इसी आशय का आदेश जारी किया था जिसे बेअसर करने के लिए तत्कालीन अखिलेश सरकार ने विधानसभा से नया कानून पारित करवाया। इस नए कानून को एक एनजीओ लोक प्रहरी ने अदालत में चुनौती दी थी। कोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि चूंकि सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है, इसलिए उन्हें आवास की सुविधा भी मिलनी चाहिए। अदालत ने सुरक्षा और अन्य प्रोटोकॉल की जरूरत को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि इसे सरकारी बंगला आवंटित करने का आधार नहीं बनाया जा सकता। 
यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि हाल के दिनों में हमारे जनप्रतिनिधियों में अपने लिए अधिक से अधिक फायदा बटोरने की भावना बहुत तेज हुई है। अपना वेतन और भत्ता बढ़वाने के लिए वे जाने कहां-कहां से तर्क उठा लाते हैं। यह देखने की जहमत नहीं मोल लेते कि जिनका प्रतिनिधि होने के नाते वे तमाम सुविधाएं मांग रहे हैं, वे लोग किन हालात में रहते हैं। बेशक इस नियम के कुछ बेहतरीन अपवाद भी रहे हैं, मगर ऐसे अपवादों की संख्या भी अब अपवाद बन गई है। आम जनप्रतिनिधि मंत्रियों मुख्यमंत्रियों को ही अपने रोल मॉडल के रूप में देखते हैं। जब मुख्यमंत्री ही ऐसा आचरण प्रस्तुत करेंगे तो वे सादगी का पाठ किनसे सीखेंगे! सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश भले ही यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों के संदर्भ में दिया गया हो, पर जिन सिद्धांतों और मान्यताओं को इस फैसले का आधार बनाया गया है वे व्यापक हैं और अन्य राज्यों तथा केंद्र पर भी लागू होते हैं। देखना होगा कि हमारी राजनीति सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आंखें मूंदे बैठी रहती है या इसे शब्दों व भावनाओं के अनुरूप हर स्तर पर लागू करने की पहल करती है।

About D.K Chaudhary

Polityadda the Vision does not only “train” candidates for the Civil Services, it makes them effective members of a Knowledge Community. Polityadda the Vision enrolls candidates possessing the necessary potential to compete at the Civil Services Examination. It organizes them in the form of a fraternity striving to achieve success in the Civil Services Exam. Content Publish By D.K. Chaudhary

Check Also

चुनाव में शरीफ Editorial page 23rd July 2018

By: D.K Chaudhary लाहौर के अल्लामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज …