By: D.K Chaudhary
दिल्ली सरकार और उसके प्रशासनिक अधिकारियों के बीच एक बार फिर सीधी तकरार शुरू हो गई है। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की उपस्थिति में आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों ने उन्हें गालियां दीं और उनके साथ हाथापाई की। अंशु प्रकाश ने थाने में लंबी शिकायत दर्ज की है। पर दिल्ली सरकार का कहना है कि मुख्य सचिव के सारे आरोप बेबुनियाद हैं। उनके साथ कोई बदसलूकी नहीं हुई। उलटा आम आदमी पार्टी के एक विधायक ने मुख्य सचिव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है कि उन्होंने उनके खिलाफ जातिगत टिप्पणी की, जब उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों को राशन मिलने में आ रही परेशानी की शिकायत की।
मुख्य सचिव पर हुए तथाकथित हमले के बाद दिल्ली सचिवालय से जुड़े प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों ने काम का बहिष्कार कर दिया और मांग की कि जब तक आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होती, वे काम पर नहीं लौटेंगे। प्रशासनिक अधिकारी पहले उपराज्यपाल और फिर केंद्रीय गृहमंत्री के पास भी अपनी शिकायत दर्ज करा आए। जबकि दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन ने पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है कि सचिवालय के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने उन्हें लिफ्ट में बंधक बना लिया था और वे किसी तरह वहां से जान बचा कर निकलने में कामयाब हुए।
इस प्रकरण से स्वाभाविक ही एक बार फिर आम आदमी पार्टी सरकार विवादों में घिर गई है। ताजा प्रकरण के बाद जिस तरह का माहौल बन गया है, उसमें दिल्ली सरकार के लिए काम करना कठिन हो गया है। इसका असर स्वाभाविक रूप से योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी पड़ेगा। आम आदमी पार्टी और प्रशासन के बीच शुरू से ही तनातनी का रिश्ता रहा है। पहले मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंचों से भी आरोप लगाते रहे कि दिल्ली सरकार के साथ नत्थी प्रशासनिक अधिकारी केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें काम करने में दिक्कतें आ रही हैं। मुख्य सचिव और दूसरे सचिवों की नियुक्ति को लेकर पूर्व उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच लंबे समय तक रस्साकशी चलती रही। जब इस मामले में कुछ विवाद थमा नजर आने लगा था, तभी यह प्रकरण घटित हो गया। दरअसल, दिल्ली सरकार अपने तीन साल पूरे होने के मौके पर टेलीविजन पर विज्ञापन प्रसारित करना चाहती है, जिसके लिए मुख्य सचिव की मंजूरी आवश्यक है। पर नियम-कायदों का हवाला देते हुए मुख्य सचिव उसके प्रसारण में अडंÞगा लगाते रहे हैं। इसी को लेकर दिल्ली सरकार, आम आदमी पार्टी विधायकों और मुख्य सचिव के बीच तल्खी बताई जा रही है।
दिल्ली सरकार पर विज्ञापनों के प्रसारण में अतार्किक रूप से पैसा खर्च करने का आरोप पहले ही लग चुका है। ऐसे में मुख्य सचिव की फूंक-फूंक कर कदम रखने की मंशा समझी जा सकती है। पर यह ऐसा मामला नहीं हो सकता, जिस पर विवेक से काम लेने के बजाय हिंसक रास्ता अख्तियार करने की नौबत आ जाए। आम आदमी पार्टी लोगों की समस्याओं को दूर करने, पारदर्शी और प्रभावी प्रशासन देने के वादे पर सत्ता में आई थी, इसलिए उससे संयम की अपेक्षा अधिक की जाती है। फिर अगर इस प्रकरण में कोई राजनीतिक कोण है, तो उसे भी उचित नहीं कहा जा सकता। सरकार और प्रशासन के बीच इस तरह की अप्रिय स्थिति किसी भी रूप में लोकतांत्रिक दृष्टि से ठीक नहीं है।