By: D.K Chaudhary
हममें से बहुत से लोग अपनी या अपने बच्चों की स्मार्टफोन की लत से परेशान हैं। जबकि दुनिया भर के मनोवैज्ञानिक इस बात को लेकर परेशान हैं कि यह लत इतनी प्रबल क्यों है? उनके पास लत छुड़ाने के जितने भी तरीके हैं, वे सब इसके आगे बेकार साबित हो रहे हैं। स्मार्टफोन में एक साथ दो चीजें हैं। एक उसकी उपयोगिता और दूसरी उसकी लत। लत छुड़ाने के सारे तरीके यही कहते हैं कि जिस चीज की लत हो, उससे दूर रहने की लगातार कोशिश करनी चाहिए। पर इसकी उपयोगिता इतनी महत्वपूर्ण है कि आप उससे बहुत ज्यादा दूरी भी नहीं बना सकते। लोकल टे्रन में, बस में, स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, सड़क, फुटपाथ पर, हर जगह आपको कई ऐसे लोग दिख जाएंगे, जो पूरी तरह अपने स्मार्टफोन में डूबे हुए होते हैं। जो नहीं डूबे होते, वे भी हर कुछ समय बाद अपने स्मार्टफोन को निकालकर यह देखना नहीं भूलते कि कोई नया संदेश, कोई नई ई-मेल, कोई नई फेसबुक पोस्ट, कोई नया ट्वीट तो नहीं आया। कुछ तो इस चक्कर में अपने आस-पास के माहौल से, आस-पास के लोगों से पूरी तरह बेखबर दिखाई देते हैं। इसीलिए अक्सर यह भी कहा जाता है कि स्मार्टफोन लोगों को असामाजिक बना रहा है। या कम से कम उनकी सामाजिकता तो उनसे छीन ही रहा है। यह तब और लगता है, जब लोगों के नफरत फैलाने वाले या कुंठा भरे संदेश दिखाई देते हैं।