दबाव में रुपया Editorial page 01st July 2018

By: D.K Chaudhary

डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में ऐतिहासिक गिरावट ने चिंता के हालात पैदा कर दिए हैं। करंसी बाजार में रुपया गुरुवार को सुबह के कारोबार में 69.10 प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गया। इसका एक पहलू यह है कि महीने के आखिर में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से डॉलर की मांग बढ़ जाती है, लिहाजा भारतीय रुपया प्राय: हर महीने की अंतिम तारीखों में कमजोर दिखता है। लेकिन इस बार रुपये की गिरावट का संबंध उन वैश्विक आर्थिक-राजनीतिक परिस्थितियों से ज्यादा है, जो आने वाले समय में कई दूसरी चुनौतियां पेश कर सकती हैं। अमेरिका ने बुधवार को भारत और चीन सहित कई देशों से कहा कि वे आगामी 4 नवंबर तक ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद करें, नहीं तो प्रतिबंध झेलने को तैयार रहें। मतलब यह कि अगले तीन महीनों में ईरान से तेल मंगाना बिल्कुल बंद हो जाना चाहिए। इस ऐलान के बाद वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया, हालांकि तेल की कीमतों पर दबाव लीबिया और कनाडा में आपूर्ति संबंधी दिक्कतों के चलते भी रहा। अमेरिका और चीन में जारी ट्रेड वार के और गहराने की आशंका ने पहले ही विश्व व्यापार की रोनी सूरत बना रखी है। इस ट्रेड वॉर में भारत भी शामिल है। 

जवाबी कार्रवाई के तौर पर यहां भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है। इससे सरकार का चालू खाते का घाटा और बढ़ने का खतरा है। लेकिन असल दुविधा ईरान को लेकर है। भारत के लिए ईरान तीसरा बड़ा क्रूड सप्लायर है। इराक और सऊदी अरब के बाद भारत में सबसे ज्यादा कच्चा तेल ईरान से ही मंगाया जाता है। वैसे ईरान सबसे अधिक तेल चीन को निर्यात करता है, भारत उसके तेल का दूसरा बड़ा ग्राहक है। ईरान से तेल मंगाना सस्ता पड़ता है। इसके अलावा भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के निर्माण में काफी पूंजी भी लगा रखी है। स्थितियों को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अगस्त के बाद ईरान से तेल आयात कम करने की बात कही है। नयारा एनर्जी (पहले एस्सार ऑयल) ने तो ईरान से तेल खरीदना जून से ही कम कर दिया है। पिछली बार ईरान पर प्रतिबंध लगा था तब भारत ने उससे आयात पूरी तरह बंद नहीं किया था, पर अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत के बाद मात्रा जरूर घटा दी थी। अमेरिका ने तब भारतीय कंपनियों पर रोक नहीं लगाई थी। लेकिन इस बार उसका रुख ज्यादा कड़ा है। जाहिर है, हमें आगे के लिए अभी से रणनीति बनानी होगी। वक्त का तकाजा है कि भारत और चीन जैसे देश अमेरिकी धौंसपट्टी के खिलाफ मजबूत स्टैंड लें और अमेरिका को झुकने पर मजबूर करें। हाल में चीन ने भारत और अन्य कुछ देशों से होने वाले आयात पर शुल्क घटाया है। ऐसी और भी पहलकदमियों के बल पर एक नई वैश्विक व्यवस्था बनाई जाए, जिसमें जबरदस्ती के लिए कोई जगह न हो। 

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