जेल प्रशासन कठघरे में (Editorial Page)

जेल में बंद किसी भी कैदी के पास मोबाइल फोन पहुंच जाना आसान नहीं है। जेल की सुरक्षा में तैनात स्टाफ की लापरवाही या मिलीभगत के बिना ऐसा नहीं हो सकता है।
पंजाब की जेलों के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जेल से गैंगस्टरों द्वारा फेसबुक अकाउंट अपडेट करने की खबरें आती रहती हैं। पुलिस प्रशासन के आलाधिकारी जब भी जेल में छापे मारते हैं तो मोबाइल फोन, सिम कार्ड, नशे की सामग्र्री इत्यादि बरामद होती है। अब हत्या के मामले में बङ्क्षठडा जेल में बंद अंडर ट्रायल कैदी द्वारा केस के गवाह को मोबाइल फोन पर धमकी देने का मामला सामने आया है। यह धमकी मोबाइल फोन से दी गई है। इससे साबित होता है कि इस जेल में कम से कम यह अंडर ट्रायल कैदी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा था। यदि ऐसा नहीं है तो जेल में रहते हुए इसने गवाह को मोबाइल फोन से धमकी कैसे दी। ऐसा भी हो सकता है कि जेल में कुछ और कैदी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हों। बेशक पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों पर केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जेल के अंदर कैदियों के पास मोबाइल फोन कैसे पहुंच जाता है? जब भी कैदियों को पेशी पर ले जाया जाता है या फिर लाया जाता है तो वे पुलिस की कड़ी निगरानी में रहते हैं। इसी तरह जेल में जब उनसे कोई मुलाकात करने आता है तो भी सघन तलाशी ली जाती है। ऐसे में किसी भी कैदी के पास मोबाइल फोन पहुंच जाना आसान नहीं है। जेल की सुरक्षा में तैनात स्टाफ की लापरवाही या मिलीभगत के बिना ऐसा नहीं हो सकता है। कैदियों, गैंगस्टरों व नशा तस्करों से मिलीभगत के आरोप में कई पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। कुछ दिनों पहले ही संगरूर की जिला जेल में नशे की सामग्र्री पहुंचाने के आरोप में पीसीआर के एक हवलदार को गिरफ्तार किया गया था। जेलों के अंदर से लगातार अनियमितता की आ रही खबरें चिंतित करने वाली हैं। यह बहुत गंभीर मामला है क्योंकि पंजाब की जेलों में कई आतंकवादी व गैंगस्टर बंद हैं। बीते दो साल में प्रदेश में हुई धार्मिक शख्सियतों की हत्याओं में भी खतरनाक गठजोड़ सामने आया है। प्रदेश सरकार व पुलिस विभाग के आलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जेल के अंदर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए। जिस भी अधिकारी व कर्मचारी की मिलीभगत सामने आती है उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए/ 

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