जीएसटी की भूलभुलैया (Editorial Page) 21st Dec 2017

By: D.K Chaudhary

इस कानून के लागू होने के बाद शायद ही कोई महीना गुजरा है, जब इसके प्रावधानों या कर ढांचे में बदलाव नहीं करना पड़ा। इस बार एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई को लेकर प्रावधान में संशोधन करना पड़ा है।

एक बार फिर जीएसटी परिषद को इसके प्रावधानों में संशोधन करना पड़ा है। इस कानून के लागू होने के बाद शायद ही कोई महीना गुजरा है, जब इसके प्रावधानों या कर ढांचे में बदलाव नहीं करना पड़ा। इस बार एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई को लेकर प्रावधान में संशोधन करना पड़ा है। नए संशोधन के बाद अगले महीने से इलेक्ट्रॉनिक माल ढुलाई बिल यानी ई-वे बिल की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इसके चलते व्यापारियों और माल ढुलाई करने वालों को आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। अब पचास हजार रुपए से अधिक का माल एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के लिए आनलाइन पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।

अभी माल ढुलाई के लिए आनलाइन पंजीकरण की सुविधा कुछ ही राज्यों के पास है। जिन राज्यों के पास अभी तक इस प्रणाली को अपनाने की सुविधा नहीं है, उन्हें अगले साल के जून तक इसकी व्यवस्था कर लेनी होगी। फिलहाल सोलह जनवरी से इसे प्रायोगिक तौर पर लागू किया जाएगा। सरकार ने ई-वे प्रणाली अपनाने का फैसला इसलिए किया है कि ऐसी व्यवस्था न होने के कारण न सिर्फ व्यापारियों और मालवाहकों को परेशानी उठानी पड़ रही है, बल्कि इससे कई लोगों को कर चोरी का भी अवसर मिल रहा है। अक्तूबर में जीएसटी राजस्व उगाही में कमी दर्ज की गई। इस साल के सितंबर में जीएसटी वसूली 95,131 करोड़ रुपए थी, जबकि अक्तूबर में वह घट कर 83,346 करोड़ रुपए रह गई। मगर ई-वे प्रणाली लगने से कर उगाही में कितनी पारदर्शिता आ पाएगी और व्यापारियों, मालवाहकों को कितनी सुविधा हो पाएगी, दावा करना मुश्किल है। दरअसल, जीएसटी लागू करते समय जल्दबाजी दिखाई गई और हर पहलू पर बारीकी से ध्यान नहीं दिया गया, कई पक्षों पर पहले से जीएसटी को लेकर बनी सहमति को नजरअंदाज कर दिया गया, जिसके चलते यह केंद्रीय कर प्रणाली व्यावहारिक रूप नहीं ले सकी। जीएसटी परिषद को बार-बार इसमें संशोधन करना पड़ रहा है। अंतरराज्यीय माल ढुलाई पर कर व्यवस्था भी उनमें से एक है।

यूपीए सरकार के समय जीएसटी की रूपरेखा तैयार हुई थी, तब सभी राज्य सरकारों की सहमति से तय हुआ था कि जीएसटी की दर अधिकतम अठारह फीसद तक रखी जाएगी। इसी तरह अंतरराज्यीय माल ढुलाई पर कोई कर न रखने का प्रस्ताव था। मगर तब गुजरात सरकार इस बात पर अड़ी हुई थी कि राज्य सरकारों को अंतरराज्यीय माल ढुलाई पर दो फीसद अतिरिक्त कर वसूलने का अधिकार मिलना चाहिए। इसे लेकर केंद्र के साथ मतभेद बना रहा, जिसके चलते जीएसटी को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। वर्तमान सरकार ने अंतरराज्यीय माल ढुलाई पर जीएसटी लगा दिया। इसके अलावा राज्य सरकारों को दूसरी वस्तुओं पर भी कर वसूलने का प्रावधान किया गया। इस तरह इस केंद्रीय कर प्रणाली का मकसद अधूरा रह गया। बहुत सारी कंपनियों को एक ही वस्तु के उत्पादन के लिए अलग-अलग प्रक्रिया से गुजरते हुए सीमावर्ती राज्यों में स्थित अपनी ही दूसरी इकाइयों में माल को कई बार लाना-ले जाना पड़ता है। इस तरह उस वस्तु पर जीएसटी का बोझ बढ़ता है। इसी से बचने के लिए कुछ लोग कर चोरी के रास्ते निकालते होंगे। पर ई-वे बिल प्रणाली लागू होने से कर चोरी पर अंकुश लगाने में कितनी मदद मिलेगी, कहना मुश्किल है। इसलिए एक बार फिर यह बात रेखांकित हुई है कि जीएसटी को लेकर मुकम्मल तौर पर विचार और संशोधन की जरूरत है

About D.K Chaudhary

Polityadda the Vision does not only “train” candidates for the Civil Services, it makes them effective members of a Knowledge Community. Polityadda the Vision enrolls candidates possessing the necessary potential to compete at the Civil Services Examination. It organizes them in the form of a fraternity striving to achieve success in the Civil Services Exam. Content Publish By D.K. Chaudhary

Check Also

चुनाव में शरीफ Editorial page 23rd July 2018

By: D.K Chaudhary लाहौर के अल्लामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज …