By: D.K Chaudhary
आस्ट्रेलिया में भारतीय स्कूल महिला फुटबॉल टीम की एक सदस्य की समुद्र में डूब जाने से हुई मौत को क्या बस एक हादसे के तौर पर देखा जाएगा? क्या यह अचानक हो गई ऐसी कोई दुर्घटना है, जिस पर अफसोस जता कर आगे सावधानी बरतने की बात कह दी जाए और सब कुछ ठीक हुआ मान लिया जाए? गौरतलब है कि आस्ट्रेलिया के एडिलेड शहर में पैसिफिक स्कूल गेम्स चैंपियनशिप अंडर-18 के तहत खेल की समाप्ति के बाद कुछ बच्चे एडिलेड के एक मशहूर समुद्री तट ग्लेनेलग पर घूमने गए थे। वहां पांच भारतीय बच्चे पानी के बिल्कुल करीब खड़े थे कि इस बीच अचानक एक बड़ी और तेज लहर आई और उन सबको चपेट में ले लिया। जब तक बाकी लोगों को पता चलता, तब तक पांचों डूबने लगे। गनीमत थी कि वहां मौजूद गोताखोरों की कोशिशों के चलते चार बच्चों को बचा लिया गया। लेकिन एक छात्रा डूब गई और उसका शव अगले दिन सुबह निकाला जा सका। बचा ली गई एक अन्य बच्ची की स्थिति गंभीर होने की खबर है। सवाल है कि जब पैसिफिक स्कूल गेम्स के तहत अलग-अलग देशों से करीब चार हजार बच्चों को वहां बुलाया गया था, तो उनकी निगरानी, देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी थी?
एडिलेड में हुए इस आयोजन में भारत से एक सौ बीस खिलाड़ियों का दल गया था। बच्चों के साथ गए अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें सभी बच्चों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन वे अपने परिवार के साथ आस्ट्रेलिया में कहीं घूमने में व्यस्त थे। सवाल है कि स्कूली खेल प्रतियोगिता में बच्चों के साथ अधिकारियों को अपने परिवार को भी साथ ले जाने की छूट किस नियम के तहत दी गई थी? बच्चों की देखरेख के बजाय सैर-सपाटे में व्यस्त रहे इन अधिकारियों ने अगर अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निबाहा होता तो शायद एक बच्ची की जान नहीं जाती; बाकी कोई भी खतरे में नहीं पड़ता। हैरानी की बात यह कि ग्लेनेलग में 2016 में भी नववर्ष के जश्न के दौरान दो लड़के डूब गए थे। पैसिफिक स्कूल गेम्स के दौरान इस तरह की कोई पहली घटना नहीं हुई है। इससे पहले भी आॅस्ट्रेलिया गई भारतीय गर्ल्स हॉकी टीम की खिलाड़ियों ने वहां कई तरह की असुविधा की शिकायत की थी। अगर खिलाड़ियों ने ढंग का खाना और मैदान पर जाने के लिए टैक्सी की व्यवस्था न होने की शिकायत की थी, तो समझा जा सकता है कि आयोजक प्रतिभागियों के प्रति कितने संवेदनशील थे!