चुनी सरकार की सत्ता Editorial page 06th July 2018

By: D.K Chaudhary
राजधानी की वैधानिक-प्रशासनिक स्थिति को लेकर एक बड़ी दुविधा समाप्त हो गई है। दिल्ली सरकारबनाम एलजी मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने साफ कर दिया कि लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार अहम है, इसलिए जमीन और कानून-व्यवस्था को छोड़कर बाकी सभी मामलों में फैसले लेने का अधिकार मंत्रिपरिषद के ही पास है। अदालत ने यह भी कहा कि एलजी के पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है। संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि मंत्रिपरिषद के हर फैसले पर एलजी की सहमति जरूरी नहीं है, लेकिन फैसलों की जानकारी उन्हें जरूर देनी होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस फैसले के बाद दिल्ली का कामकाज बेरोकटोक और बिना अड़चन के चल सकेगा। 

पिछले कुछ सालों से दिल्ली की अजीबोगरीब स्थिति बन गई थी और चुनी हुई सरकार का तो कोई वजन ही नहीं महसूस हो रहा था। आए दिन राज्य सरकार और एलजी में टकराव की खबरें आती थीं। राज्य सरकार कहती थी कि उसे काम नहीं करने दिया जा रहा है, अधिकारी उसकी बात नहीं सुन रहे। दूसरी तरफ एलजी की बातों से लगता था जैसे दिल्ली सरकार बात-बात पर अपना दायरा लांघ रही है और सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए एलजी और उनके बहाने केंद्र पर काम न करने देने का आरोप मढ़ रही है। और तो और, खुद राज्य सरकार को ही कई बार आंदोलन करते देखा गया। यह सब देखकर लोगों के बीच यह सवाल भी पूछा जाने लगा था कि दिल्ली सरकार के पास जब कोई अधिकार ही नहीं हैं तो ‌फिर केजरीवाल सरकार से पहले की दिल्ली सरकारों ने इतने सारे बड़े-बड़े काम कैसे कर लिए? 

सच्चाई यही है कि दिल्ली राज्य के गठन के बाद से ही केंद्र और दिल्ली सरकार में कामकाजी सामंजस्य बना हुआ था, लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों में यह बिल्कुल ही टूट गया। ऐसे में दिल्ली सरकार के अधिकारों को एक बार फिर से परिभाषित करना जरूरी हो गया था। वैसे भी दिल्ली का मामला इस अर्थ में असाधारण है कि यह न तो एक सामान्य राज्य है, न ही केंद्र शासित प्रदेश। इसकी स्थिति दोनों से अलग है। संविधान के अनुच्छेद 239 एए में साफ कहा गया है कि जमीन से जुड़े मामले, कानून-व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर बाकी सभी विषयों पर कानून बनाने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है। उसी की रोशनी में अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उप-राज्यपाल उसके फैसलों को रोक नहीं सकते। ज्यादा समस्या होने पर वे किसी खास फैसले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं, लेकिन सबको नहीं। कोर्ट का इशारा है कि एलजी मोटे तौर पर राज्यपाल जैसी सजावटी भूमिका ही निभाएं। उम्मीद है कि सभी पक्ष इस निर्णय का सम्मान करेंगे और दिल्ली में ऊपरी स्तर पर निरंतर जारी बेचैनी खत्म होगी। 

About D.K Chaudhary

Polityadda the Vision does not only “train” candidates for the Civil Services, it makes them effective members of a Knowledge Community. Polityadda the Vision enrolls candidates possessing the necessary potential to compete at the Civil Services Examination. It organizes them in the form of a fraternity striving to achieve success in the Civil Services Exam. Content Publish By D.K. Chaudhary

Check Also

चुनाव में शरीफ Editorial page 23rd July 2018

By: D.K Chaudhary लाहौर के अल्लामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज …