By: D.K Chaudhary
अध्यापन के कार्य को सभी सबसे श्रेष्ठ माना गया है। गुरु ही ज्ञान से किसी भी व्यक्ति के चक्षु खोलता है और जीवन की राह पर चलना सिखाता है। इसलिए हमारे शास्त्रों में गुरु का स्थान मां-बाप से भी ऊपर है। लेकिन वर्तमान में अध्यापन में कुछ ऐसे लोग भी आ गए हैं जो कि अपने गलत कर्मो की वजह से इस पवित्र पेशे को तो बदनाम कर ही रहे हैं अपितु गुरु जैसे अहम पद की गरिमा को भी ठेस पहुंचा रहे हैं। राज्य में पिछले कुछ समय में जो घिनौनी घटनाएं सामने आई हैं वे सभी को शर्मसार करने वाली हैं। अध्यापक ही अपनी शिष्याओं से अभद्र हरकतें कर रहे हैं। इससे लोगों का अध्यापकों पर से विश्वास ही उठना शुरू हो गया है। स्कूल में बच्ची के गर्भवती होने और उसका गर्भपात करवाने, मेरिटोरियस स्कूल में छात्र से छेड़छाड़, पटियाला में अध्यापिका द्वारा एक छात्र को अश्लीलता के लिए मजबूर करने से लेकर फाजिल्का में मीजल व रूबेला के टीके लगवाने को लेकर प्रिसिंपल की अश्लील टिप्पणी का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि पटियाला के एक महिला महाविद्यालय में पंजाबी के एक प्राध्यापक द्वारा अपनी शिष्या के मोबाइल पर अश्लील संदेश भेजने का मामला सामने आ गया है।