10वीं और 12वीं कक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने से सीबीएसई की साख को गहरा धक्का लगा है। 12वीं की अर्थशास्त्र की परीक्षा 26 मार्च को हुई थी, जबकि 10वीं कक्षा की गणित की परीक्षा 28 मार्च को। परीक्षा से पहले ही हाथ से लिखे सवाल वॉट्सऐप पर शेयर हो रहे थे। पेपर में भी वही सवाल आए। लेकिन सीबीएसई दावा करता रहा कि पेपर लीक नहीं हुए हैं। इससे पहले 15 मार्च को 12वीं के अकाउंट्स का पेपर लीक होने की खबर थी। सीबीएसई ने उससे इनकार कर दिया था। अब बीते बुधवार को सीबीएसई ने पेपर लीक की बात स्वीकार करते हुए 12वीं के अर्थशास्त्र और 10वीं के गणित की परीक्षा दोबारा कराने का फैसला किया है। लेकिन अब कई छात्रों ने पूरी परीक्षा फिर से कराए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
देशभर के छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों में इसे लेकर भारी गुस्सा है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी है। इस सिलसिले में एक कोचिंग संचालक को गिरफ्तार भी किया गया है। सवाल है कि कोई भी पेपर बोर्ड के अंदर के किसी व्यक्ति की मिलीभगत के बगैर बाहर कैसे आ सकता है? अगर ऐसा नहीं है तो किसी स्तर पर जरूर लापरवाही हुई है। गौरतलब है कि पेपर सेट करने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जाती है। ये विशेषज्ञ एक-दूसरे से अनजान होते हैं। पेपर सेट होने के बाद उन्हें मॉडरेटर के पास भेजा जाता है जो सिलेबस और कठिनाई की जांच करते हैं। फिर पेपर को ट्रांसलेशन के लिए भेजा जाता है और इसके बाद उन्हें छपने भेजा जाता है। छपे हुए पेपर एक जगह स्टोर करके रखे जाते हैं फिर उन्हें कलेक्शन सेंटर पर भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में कहीं भी थोड़ी ढिलाई से लीक संभव है।
क्या इस बात की जांच की जाएगी कि कहां गड़बड़ी हुई? क्या दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी? ऐसे समय जब राज्यों के बोर्ड अनियमितता के कारण कठघरे में खड़े किए जा रहे थे, सीबीएसई ने अपनी पारदर्शिता और पेशेवराना रवैये से अपनी प्रतिष्ठा कायम की थी। पिछले कुछ वर्षों में यह अच्छी शिक्षा और अच्छे करियर के पर्याय के रूप में उभरकर आया, लेकिन पेपर लीक ने इसकी विश्वसनीयता पर गहरी चोट पहुंचाई है। कहीं ऐसा तो नहीं कि तकनीक के बढ़ते प्रसार और उनकी व्यापक उपलब्धता ने हमारी मौजूदा व्यवस्थाओं को बेजान बना दिया है? जाहिर है अब हमें पहले से कहीं बेहतर और अत्याधुनिक तंत्र की जरूरत है। क्या सरकार इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए एक सक्षम तंत्र बनाएगी? फिर इस पर भी विचार करना चाहिए कि कहीं हमारी शिक्षा प्रणाली अंकों का एक खेल बनकर तो नहीं रह गई है? शिक्षा के स्वरूप में व्यापक बदलाव की पहलकदमी भी सीबीएसई को करनी चाहिए।