By: D.K Chaudhary
जिस समय आधार यानी विशिष्ट पहचान संख्या से जुड़े कई सवालों पर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है और उसके संवेदनशील होने को लेकर चिंता जताई जा रही है, उस समय किसी कुएं में बड़ी तादाद में फेंक दिए गए आधार कार्ड की मूल प्रतियां मिलने की घटना हैरान करने वाली है। इसके अलावा, पिछले काफी समय से ऐसी खबरें आती रही हैं जिनमें बताया गया कि इंटरनेट पर लाखों लोगों के आधार कार्ड और उससे जुड़ी तमाम जानकारियां आसानी से उपलब्ध हैं और उन्हें कोई भी हासिल कर सकता है। इसके दुरुपयोग को लेकर जताई जाने वाली आशंकाएं भी कई मौकों पर सही होती देखी गर्इं, जब धोखे से किसी का आधार नंबर पता लगा कर बैंक खातों से पैसा निकाल लेने की खबरें आर्इं। लेकिन जब भी इसे लेकर सवाल उठते हैं तो सरकार या यूआइडीएआइ यानी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की ओर से यह दलील पेश की जाती है कि आधार कार्ड और उससे जुड़ी सभी जानकारियां पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसके बावजूद सच यह है कि आए दिन आधार कार्ड की सुरक्षा से जुड़े कई सवाल सामने आ रहे हैं।
अब महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में पानी की खोज में एक गंदे कुएं की सफाई के दौरान जिस तरह प्लास्टिक बैग में हजारों आधार कार्ड पाए गए, वह आधार के मसले पर सरकार के संवेदनशील होने की तमाम दलीलों पर सवालिया निशान है। अगर इसके लिए डाक विभाग या उसके किसी कर्मचारी की लापरवाही जिम्मेदार है तो अव्वल तो किसी सामान्य महत्त्व के पत्र या लिफाफे को फेंकने को भी अपराध माना जाना चाहिए। दूसरे, सरकार अपने दावे के मुताबिक यह क्यों सुनिश्चित नहीं कर सकी कि आधार कार्ड की संवेदनशीलता के मद्देनजर कोई भी महकमा या कर्मचारी किसी भी हाल में कोई लापरवाही न बरते? इस घटना के बाद स्वाभाविक रूप से एक बड़ी चिंता सामने आई है कि इंटरनेट पर आधार से जुड़ी जानकारियों के लीक होने के जोखिम से इतर इस बात की क्या गारंटी है कि लोगों के गायब हुए असली आधार कार्ड का बेजा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा! ऐसी अनेक खबरें सामने आ चुकी हैं जिनमें किसी अनजान व्यक्ति ने मोबाइल पर बहाने से किसी की आधार संख्या की जानकारी मांगी और उसके बाद उसके खाते से बड़ी रकम निकल गई।
हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने आधार संख्या को बैंक खातों और मोबाइल के सिम से लिंक कराने की समय सीमा को अंतिम फैसला आने तक के लिए टाल दिया है। लेकिन सरकारी निर्देश के बाद बैंकों और मोबाइल कंपनियों की ओर से बनाए गए दबाव की वजह से ज्यादातर लोगों ने अपनी आधार संख्या को बैंक खातों और मोबाइल के सिम से लिंक करा लिया है। जबकि आधार से जुड़े मामलों में निजता के अधिकार का सवाल भी शामिल था। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार के पक्ष में अपना फैसला दिया। आधार के बाकी कई पहलुओं पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आना अभी बाकी है। लेकिन आज व्यवहार में आधार कार्ड की अनिवार्यता इस तरह लागू कर दी गई है कि बहुत सारे लोग इसके बिना रियायती दर पर राशन या कई दूसरी सुविधाएं हासिल नहीं कर पाते। ऐसे में जितने लोगों के आधार कार्ड कुएं में न जाने कब से फेंके हुए थे, उनके अधिकारों के हनन की भरपाई कैसे होगी? इस बेहद संवेदनशील माने जाने वाले दस्तावेज के प्रति ऐसी कोताही सामने आने के बाद इससे उपजी आशंकाओं का हल निकालने के ठोस उपाय किए जाने चाहिए।