By: D.K Chaudhary
पश्चिम पाकिस्तान से आकर जम्मू-कश्मीर में बसने वाले प्रत्येक शरणार्थी परिवार को साढ़े 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। पहले गोलीबारी या किसी घटना में जानवरों के मरने पर 30 हजार प्रति पशु मुआवजा मिलता था, लेकिन अब इसको बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही मुआवजा देने के लिए तीन जानवरों की सीमा को भी खत्म कर दिया गया है। राजनाथ सिंह ने एक अन्य घोषणा में कहा कि कश्मीरी विस्थापितों को दी जाने वाली नकदी सहायता 30 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई है और अब प्रत्येक परिवार को वर्तमान 10 हजार रुपये के बदले 13 हजार रुपये मिलेंगे।
जम्मू-कश्मीर के लिए अभी ऐसी ही ठोस पहलकदमियों की जरूरत है। राज्य के लोगों को यह अहसास दिलाना जरूरी है कि केंद्र सरकार उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील है। रमजान के दौरान सीजफायर का ऐलान कर केंद्र सरकार ने ऐसा संकेत दिया था। अब केंद्रीय गृह मंत्री ने अहम घोषणाएं कर लोगों में विश्वास बहाल करने की कोशिश की है और शांति कायम करने की प्रतिबद्धता भी जताई है। दरअसल राज्य में रोजी-रोजगार के संकट का ही अलगाववादियों ने फायदा उठाया है। इसलिए वहां युवाओं के लिए रोजगार पैदा करना और विकास कार्यों को गति देना जरूरी है। इस दृष्टि से बटालियनों के गठन में स्थानीय युवाओं को आरक्षण देने का कदम महत्वपूर्ण है। पत्थरबाजी में पहली बार लिप्त नौजवानों को माफी देकर और राज्य के खिलाड़ियों को सम्मानित करके भी केंद्र सरकार ने युवाओं का दिल जीतने की कोशिश की है और यह संदेश भी दिया है कि वह उनकी बेहतरी के लिए तत्पर है। यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए और स्थायी अमन-चैन के लिए सभी संबद्ध पक्षों से बातचीत के लिए माहौल भी तैयार करना चाहिए।