एक और सफेद लूट (Editorial Page) 17th Fab 2018

एक और सफेद लूट (Editorial Page) 17th Fab 2018

By: D.K Chaudhary

  देश में पब्लिक सेक्टर के दूसरे सबसे बड़े बैंक पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) के साउथ मुंबई स्थित एक ब्रांच में हुए 11 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा के घोटाले ने सबको सकते में डाल रखा है। कहा जा रहा है कि बैंक के दो कर्मचारियों ने दो बड़े हीरा व्यापारियों नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के साथ मिलकर इतना बड़ा कांड कर डाला और किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई। बैंक प्रबंधन अपनी प्रेस विज्ञप्ति में खुद को शाबाशी देता दिख रहा है कि उसने खुद यह धोखाधड़ी पकड़ी, सीबीआई को खबर दी और पहली नजर में दोषी लग रहे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की। मगर यह बात भी सामने आ रही है कि इस धोखाधड़ी की कुछ जानकारी बैंक को पहले ही हो चुकी थी और केंद्र सरकार भी इससे बिल्कुल अनजान नहीं थी।
इसके बावजूद न तो समय से मामले को ऑडिट और निगरानी के दायरे में लाया जा सका, न ही मुख्य घोटालेबाजों को प्राथमिकी दर्ज होने के एक-दो दिन पहले और बाद विदेश जाने से रोका जा सका। ऐसा क्यों हुआ, इस चिंता का समाधान भी बाकी कानूनी कार्रवाई के साथ ही किया जाना चाहिए। पीएनबी प्रबंधन के तमाम दावों के बावजूद अभी तक इस घोटाले का वास्तविक आकार सामने आना बाकी है। कई और बैंकों के तार भी इस घोटाले से जुड़े हैं, लेकिन उनका कहना है कि घोटालेबाजों को कर्ज उन्होंने पीएनबी द्वारा जारी कागजात देखकर ही दिए थे। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस मामले से जुड़ी सारी अटकलबाजी पर यह कहकर विराम लगा दिया है कि पूरे कर्जे की अदायगी पीएनबी के ही सिर आनी है।

यह भी गौरतलब है कि घोटाले के दोनों मुख्य कर्ता-धर्ताओं की सत्ता के सर्वोच्च हलकों तक पहुंच बार-बार रेखांकित होती रही है। ऐसे में इस बात को महज संयोग मानना मुश्किल है कि 3 जनवरी को इस घोटाले की पहली एफआईआर दर्ज हुई और 1 से 6 जनवरी के बीच आरोपी हीरा व्यापारी नीरव मोदी की पत्नी एमी मोदी (जो अमेरिकी नागरिक हैं), नीरव के भाई निशाल मोदी (जो बेल्जियन नागरिक हैं), दूसरे आरोपी मेहुल चोकसी और संभवत: स्वयं नीरव मोदी ने भी देश छोड़ दिया। विजय माल्या केस के बाद उम्मीद की जा रही थी कि हमारी एजेंसियां घोटालेबाजों से निपटने में ज्यादा कुशलता का परिचय देंगी, मगर यह मामला हमारी इस उम्मीद के मुंह पर एक और करारा तमाचा है।

  

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