By: D.K Chaudhary
देश में ऐसे बाबाओं, संतों, महात्माओं की कमी नहीं है जो अपने शिष्यों की नजर में लगभग भगवान का स्थान पाकर भी घृणित कृत्यों को अंजाम देते रहते हैं। शिष्यों का समूह इन कथित धर्मगुरुओं के आभामंडल से इस कदर प्रभावित रहता है कि उनके बारे में कुछ भी नेगेटिव सुनने को तैयार नहीं होता। आसाराम की हवस का शिकार बनी उस नाबालिग लड़की की बात करें तो उसका पूरा परिवार आसाराम में ऐसी श्रद्धा रखता था कि जब उस बच्ची ने आसाराम की गलत हरकतों की शिकायत की तो मां-बाप ने उसे डांट दिया। तारीफ होनी चाहिए उस लड़की के साहस की, जो मां-बाप की डांट के बावजूद आसाराम की करतूतें बर्दाश्त करने को राजी नही हुई। वह न केवल आसाराम के चंगुल से भाग निकली बल्कि अपने मां-बाप को भी अपनी सच्चाई का यकीन दिलाया और उन्हें यह लंबी, कठिन लड़ाई लड़ने को तैयार किया। ध्यान रहे, आसाराम पर रेप के और मामले भी चल रहे हैं। इन मुकदमों के दौरान न केवल पीड़ित परिवार को धमकाने की कोशिशें होती रही हैं बल्कि गवाहों पर जानलेवा हमले भी होते रहे हैं। ऐसे हमलों में तीन जानें भी जा चुकी हैं। इन सबके बावजूद लगता नहीं कि समाज में बाबाओं का प्रभाव जल्दी खत्म होने वाला है। ऐसे में अभिभावकों से यही अपील की जा सकती है कि वे इन कथित संत-महात्माओं में चाहे जितनी भी आस्था रखें, पर कम से कम अपने नाबालिग बच्चों को इनसे दूर रखें और उन्हें पढ़ाई-लिखाई के जरिये अपना व्यक्तित्व विकसित करने दें, ताकि अपने जीवन से जुड़े बड़े फैसले वे खुद ही ले सकें।