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अमूमन हर बार सांप निकलने के बाद लकीर ही पीटी जाती है। यदि पहले से ही सुरक्षा प्रबंधों पर अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक की निगरानी रहेगी तो घटनाएं कम होंगी।
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दिन प्रतिदिन राज्य की बिगड़ रही कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सूबे की कैप्टन सरकार ने पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करके अच्छा कदम उठाया है। अब अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगे। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे अराजक तत्वों पर नकेल कसी जा सकेगी और राज्य में अपराध का ग्र्राफ भी नीचे आएगा। सरकार के इस फैसले से ऊपर से लेकर नीचे तक सभी अधिकारी व कर्मचारी दवाब में रहेंगे और कुछ भी गलत करने या फिर किसी भी मामले को हल्के में लेने से गुरेज करेंगे। अन्यथा अमूमन हर बार सांप निकलने के बाद लकीर ही पीटी जाती है। यदि पहले से ही सुरक्षा प्रबंधों पर अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक की निगरानी रहेगी तो घटनाएं कम होंगी। मुख्यमंत्री ने पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक में स्पष्ट कर दिया है कि यदि धार्मिक ग्र्रंथों की बेअदबी के नाम पर आपसी सौहार्द के साथ-साथ अमन शांति भंग होती है तो इसके लिए सीधे-सीधे पुलिस कमिश्नर, एसएसपी, एसपी और डीएसपी स्तर के अधिकारी जिम्मेदार होंगे। सरकार ने नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए भी पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है। सोशल मीडिया पर सक्रिय आतंकियों व गैंगस्टर्स पर भी नजर रखने के लिए कहा है परंतु यह सब तभी संभव है यदि हमारी पुलिस साइबर के क्षेत्र में तकनीकी रूप से सक्षम होगी। इसके लिए साइबर सेल में काम करने वाले पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को तकनीकी प्रशिक्षण की नितांत आवश्यता है। इसके साथ ही वह मूलभूत ढांचा भी उपलब्ध करवाना होगा जिसके दम पर वह ऐसे अराजक तत्वों तक अपनी पहुंच बना सकें। पंजाब में चाहे हिन्दु नेताओं की हत्याओं का मामला रहा हो या फिर गैंगस्टर्स की वारदातें सभी में यह सामने आया है इन घटनाओं की पटकथा सोशल मीडिया पर ही लिखी गई थी। बेशक सरकार ने राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था के मद्देनजर पुलिस के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है परंतु इनके नतीजे क्या सामने आते हैं इसकी निगरानी भी जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि सरकार के आदेश बस आदेश बन कर ही रह जाएं और राज्य की कानून व्यवस्था भी सुधरने की बजाए वैसे की वैसी ही बनी रही। सरकार को इस पर भी गौर करना होगा