अपराधियों की शरणस्थली Editorial page 13th June 2018

By: D.K. Chaudhary

ललित मोदी और विजय माल्या के बाद नीरव मोदी का अगला पता भी अब शायद ब्रिटेन ही होगा। खबर है कि पंजाब नेशनल बैंक से 280 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले नीरव मोदी ने ब्रिटेन में राजनीतिक शरण पाने के लिए अर्जी दी है। यह भी बताया गया है कि वह इन दिनों वहां अपने बचाव के लिए वकील ढूंढ़ रहा है। पश्चिम के जो देश राजनीतिक शरण के नाम पर हमेशा से विवाद में रहे हैं, उनमें ब्रिटेन भी एक है। दुनिया भर के अतिवादी तत्व और यहां तक कि अपराधी और कभी-कभी तो आतंकवादी अपने देश में राजनीतिक कारणों से सताए जाने की दुहाई देकर इन देशों में शरण पाते रहे हैं। अब अगर राजनीतिक शरण के प्रावधान आर्थिक घोटालेबाजों का भी सहारा बन गए हैं, तो इसका अर्थ हुआ कि ब्रिटेन में इन प्रावधानों के अधिकतम संभव दुरुपयोग की जमीन तैयार हो चुकी है। आर्थिक घोटाले करने के बाद भी ललित मोदी और विजय माल्या वहां बेखौफ ऐशो-आराम भरी जिंदगी जी रहे हैं। जाहिर है कि उनके उदाहरणों ने नीरव मोदी को भी ब्रिटेन की शरण में जाने की प्रेरणा दी होगी। एड़ी-चोटी का जोर लगाकर भी भारत सरकार उनका बाल बांका नहीं कर सकी, ऐसी खबरों से निश्चित तौर पर अपराध जगत में ब्रिटेन को एक बड़ी साख मिली होगी।

हालांकि इस मामले में ब्रिटेन के कायदे-कानून, उनके उपयोग-दुरुपयोग और आर्थिक व अन्य तरह के अपराधियों को उनसे मिलने वाले बच निकलने के  रास्ते, ये सब उस देश का अपना मामला है, जिस पर हम हाय-तौबा मचाने के अलावा ज्यादा कुछ कर नहीं सकते, लेकिन इन सब के बावजूद अगर हम उनके प्रत्यर्पण में नाकाम रहते हैं, तो यह कई तरह से हमारी नाकामी का मामला भी है। आर्थिक या अन्य अपराधियों के मामले में प्रत्यर्पण दो तरह से कामयाब हो पाता है। एक तो प्रत्यर्पण संधि से और दूसरा इस बात से कि आप उस देश पर कितना अंतरराष्ट्रीय दबाव बना पाते हैं, जहां आपके अपराधी छिपे बैठे हैं। हालांकि प्रत्यर्पण संधि ही अपने आप में पर्याप्त नहीं होती, प्रत्यर्पण से पहले उस देश की अदालतों में साबित करना होता है कि यह शख्स वाकई अपराधी है और इसे पकड़कर वापस ले जाने में कोई राजनीति नहीं है। ललित मोदी और विजय माल्या के मामले में हम बावजूद दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के, अभी तक ब्रिटेन की अदालतों को ऐसा भरोसा दिलाने में कामयाब नहीं हो सके हैं। और सिर्फ आर्थिक अपराधी ही नहीं,  गुलशन कुमार हत्याकांड मामले में तो हम संगीतकार नदीम सैफी का प्रत्यर्पण भी नहीं करा सके। सबसे गंभीर मामला तो 1993 के दो विस्फोटों के आरोपी हनीफ टाइगर का है, जिसका प्रत्यर्पण बावजूद सीधा-सीधा आतंकवाद का मामला होने के, अभी तक कानूनी उलझनों में अटका पड़ा है।

यह ऐसे मामलों में ब्रिटेन पर भी दबाव बनाने और बढ़ाने का समय है। दुनिया भर के अपराधी अगर ब्रिटेन में शरण लेने लग गए, तो यह उसके लिए तो गड़बड़ होगा ही, उसकी छवि भी इससे अच्छी नहीं बनेगी। तरह-तरह के आतंकवादियों को शरण व प्रशिक्षण देने वाले पाकिस्तान का खुद का हाल क्या हुआ है, यह हम पिछले कई साल से देख ही रहे हैं। अगर एक देश के अपराधी दूसरे देश में शरण लेकर दंड से बच सकते हैं, तो इसका अर्थ है कि जिसे हम ग्लोबलाइजेशन कह रहे हैं, उसकी अवधारणा में नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं है। 

About D.K Chaudhary

Polityadda the Vision does not only “train” candidates for the Civil Services, it makes them effective members of a Knowledge Community. Polityadda the Vision enrolls candidates possessing the necessary potential to compete at the Civil Services Examination. It organizes them in the form of a fraternity striving to achieve success in the Civil Services Exam. Content Publish By D.K. Chaudhary

Check Also

चुनाव में शरीफ Editorial page 23rd July 2018

By: D.K Chaudhary लाहौर के अल्लामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज …